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  • 19 Jun, 2019

Zero To Comrade Part 2

1921 में Pietermaritzburg से Durban के बीच हुई थी। जिसमे 34 रनर्स ने भाग लिया था। यह मैराथन प्रथम विश्व युद्ध मे शहीद हुए कामरेड (सैनिकों) की याद में Vic Clapham. द्वारा प्रारंभ की गई थी। 1941 से 1945 को छोड़कर (सेकंड वर्ल्ड वॉर) यह मैराथन हर साल होती रही है।एक साल यहPietermaritzburg से Durban के बीच होती है जिसे डाउन रन कहा जाता है और दूसरे साल डर्बन से petermaritzburg होती है जिसे up रन कहा जाता है।डाउन रन में लगभग 90 km दौड़ना रहता है जबकि up रन में लगभग 87km दौड़ना रहता है। दोनों रन के लिए कटऑफ समय 12 घंटे का ही रहता है। up रन में लगभग आधे रास्ते तक चढ़ाई ही चढ़ाई है। ऐसा कहा जाता है कि इसके पहले 42 km (फुल मैराथन) वर्ल्ड के किसी भी 42 km से कठिन है । आधे रास्ते के बाद up रन में रोलिंग हिल्स हैं। 79 km पर सबसे कठिन हिल पोली शॉर्ट्स आती है जो आपकी सही रूप में परीक्षा लेती है।
लोगो को लगता है कि डाउन रन इजी है। जबकि ऐसा नही है। डाउन रन में आपको ज्यादा भी दौड़ना है। डाउन रन में आपके जॉइंट्स पर, quads पर ज्यादा प्रेशर आता है। आंकड़ो के अनुसार डाउन रन में सबसे ज्यादा DNF हुए है। डाउन रन का मतलब यह भी नही है कि आपको चढ़ाई बिल्कुल नही मिलेगी। उसमे भी आपको चढ़ाई मिलेगी।
इसके अलावा आपको पूरी रन के दौरान 6 कटऑफ भी क्रॉस करने पड़ेंगे। अगर आप उन कटऑफ पर निर्धारित समय पर नही पहुंचे तो आपको स्पीपर बस में बैठा दिया जाएगा। ये कटऑफ इस रन को और रोचक बना देते हैं। होता यह है कि नया रनर कटऑफ के समय को जल्दी क्रॉस करने के चक्कर मे बहुत तेज दौड़ लेता है और फिर बाद में DNF हो जाता है । इसलिए इस रेस को फिनिश करने के लिए आपका रेस प्लान बहुत अच्छा होना चाहिए और पूरे समय आपको उस पर चलना चाहिए। आपके पास रेस प्लान B भी होना चाहिए। मेरा तो यह मानना है कि रेस प्लान C भी होना चाहिए। जो सबसे महत्वपूर्ण बात है वह है आपका रेस के दौरान fueling और हाइड्रेशन । अगर आपने इसमे जरा सी चूक की तो आप मान ले कि आपकी रेस बिगड़ना ही है। याद रहे कि उस दिन आपको लगभग 4000 कैलोरी बर्न करना है।
ये तो कुछ महत्वपूर्ण बातें है जो इस रेस को अल्टीमेट ह्यूमन रेस बनाती है। अगर आप इसके बारे में और जानना चाहते है तो कामरेड की वेबसाइट पर जाकर पढे। या dare to run किताब पढ़ें।

रेस डे के पहले

हम चारों ( श्री राजेश पोरवाल, डॉ अमित बंग, श्री आशु व्यास और मैं) 6 जून की शाम को डरबन पहुँच गए। हमे एयरपोर्ट पर लेने विवेक सर के मित्र विष्णु नायडू आये। जिन्होंने लगातार 11 कामरेड करी हुई है।और वे ग्रीन कार्ड होल्डर है। जो भी रनर लगातार 10 बार कामरेड मैराथन करता है उसे ग्रीन कार्ड मिल जाता है। यहाँ यह भी बतलाना उचित है कि विष्णु अपनी पहली तीन कामरेड में DNF हुए थे। विष्णु न केवल एक अच्छे रनर है अपितु बहुत अच्छे इंसान भी हैं। हम सब तो उनको विष्णु भगवान कहने लगे थे । विष्णु ने हम चारो को कामरेड मैराथन के बारे में बहुत अच्छे से ब्रीफ करा। 7 जून सुबह हमने समुद्र के किनारे 6km की इजी रन की। लगभग 12 बजे हम लोग एक्सपो में गए अपनी बिब और चैंपियनशिप नम्बर लिया। एक्सपो बहुत ही विशाल था। हम लोगो ने gels आदि की खरीदी की। दिन में दो बजे इंडिया के सभी रनर्स मिले और सबका एक ग्रुप फ़ोटो हुआ। जो बहुत अच्छे से आयोजित नही था। भारत से लगभग 208 रनर्स थे। जिसमे लगभग 11 महिला रनर्स थीं।
एक्सपो में क्रेपम्स से बचने के लिए पिकल जूस मिल रहा था। कामरेड के ऑफिसियल कोच पेरी ने भी उसकी तारीफ की। यह भी कहा कि तीन में से 2 पर यह काम करता है। मेरे को छोड़कर बाकि तीनो ने उसकी एक एक बोतल ले ली। हम लोगो ने तय कर लिया था कि एक्सपो में ज्यादा समय नही लगाएंगे। 7 को अच्छी नींद ली। 8 जून को आशु ने बोला कि उसकी लास्ट ईयर की चैंपियन चिप टेस्ट करवाना है कि वह एक्टिव है कि नही। इसलिए उसको एक्सपो जाना पड़ेगा। मैंने उससे कहा कि अगर तुम एक्सपो जा रहे हो तो मेरे लिए भी पिकल जूस की एक बोतल ले आना। अमित और आशु एक्सपो चले गए। पोरवाल जी ने हम सबके लिए खाना बनाया ।मैंने हेल्पर के रूप में उनकी मदद की। आप सबको बतला दूँ कि पोरवाल जी बहुत अच्छे रनर के साथ साथ बहुत अच्छे कुक भी है। इन सबके अलावा बहुत अच्छे इंसान भी। बिल्कुल शांत। मेरे दोनो साथी आशु और अमित भी बहुत ही अच्छे इंसान है। आशु हमेशा हंसाता रहता था। अमित हमेशा सीखने के लिए तत्पर रहता है। पोरवाल जी खाना बनाते तो हम सब सब्जी, सलाद काटने या फिर बर्तन मांजने का काम करते।यह बात मैं इसलिए लिख रहा हूँ कि हम सब एक परिवार की तरह रह रहे थे। हम सबमे एक दूसरे के साथ बहुत अच्छी बॉन्डिंग थी।
आशु मेरे लिए पिकल जूस ले कर आ गया। जो भगवान के divine ड्रामा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था। लंच के बाद हम सबने रेस प्लान पर बहुत विस्तृत चर्चा की। यह चर्चा मेरे को रेस डे के दिन बहुत काम आयी।
इसके बाद हम लोगों ने रेस डे की तैयारी कर ली। चैंपियन चिप शूज में लगा ली। टीशर्ट पर बिब आदि आदि

शाम को भी पोरवाल जी ने हम सबके लिए खिचड़ी बना दी। पर मेरे को न जाने क्यों बहुत गैस हो रही थी। मैंने दो या तीन चम्मच खिचड़ी ही खाई। हम लोग उस दिन रात को 7 बजे ही अपने अपने रूम में चले गए। उसी समय बारिश शुरू हो गयी। इससे हम थोड़े चिंतित हो गए। weather forecast देखा तो रात को 2 बजे तक बारिश थी और दिन में 7 बजे। थोड़ी चिंता खत्म हुई क्योकि 7 बजे तक तो हम डरबन से दूर हो जाएंगे।
मेरे को बहुत आश्चर्य हो रहा था कि मेरे को अगले दिन 87 km दौड़ने की रत्तीभर चिंता नही हो रही थी। इसलिए नींद भी जल्दी आ गयी । सुबह 2 बजे का अलार्म लगाया था। नींद 2 बजे के एक मिनिट पहले ही खुल गई।

रेस डे

आखिर वो दिन आ ही गया जिसके लिए इतने सपने देखे थे, इतनी मेहनत की थी, इतना पसीना बहाया था। अपना श्रेष्ठ देने का दिन आ गया था। सुबह सबने एक दूसरे से गुड मॉर्निंग की। मैंने चाय और टोस्ट लिया। ड्राई फ्रूट्स लिए। पोरवाल जी ने रात को मेरे लिए oats बना कर फ्रिज में रखा था। उसमे केले डाल कर उसका नाश्ता किया।ये सब नाश्ता लगभग 3 बजे तक हो गया था। बिल्कुल सही समय पर। शावर ले कर हम सब तैयार हो गए।
स्टार्टिंग पॉइंट हमारे घर से लगभग 3 km था। टैक्सी करके हम सब 4.45 पर वहाँ पहुँच गए। हर तरफ रनर्स ही रनर्स। एक अद्भुत दृश्य जिसको शब्दों में लिखना मुश्किल है। अलग अलग देशों के रनर्स। हम सब 15 मिनट्स पहले एक दूसरे को शुभकामनाएं देकर अपने अपने ग्रुप में चले गए। पोरवाल जी D ग्रुप में, मैं और आशु F ग्रुप में और अमित G ग्रुप में।
मेरे कोच ने मेरे को sub 11 का टारगेट दिया था। पर मेरे को विष्णु ने, विवेक सर और सतीश गुंजारन ( भारत के पहले ग्रीन कार्ड होल्डर) ने कहा था कि फर्स्ट टाइमर को कम्फ़र्टेबल फिनिश का टारगेट रखना चाहिए । फिर भी मैं अपने ग्रुप में 11 के पेसर के साथ खड़ा हो गया।

फाइनल रेस

ठीक 5.30 पर गन चलने की आवाज आयी। मैंने भगवान को याद कर उन्हें प्रणाम कर अपनी घड़ी चालू कर दी। मैं स्टार्ट लाइन से लगभग 800 मीटर दूर था। स्टार्ट लाइन क्रॉस करने में लगभग 9 मिनट्स लग गए। विश्वास नही हो रहा था कि विश्व प्रसिद्ध कामरेड मैराथन में एक रनर के रूप में दौड़ रहा हूँ। गर्व भी हो रहा था और खुशी से आँखों मे से ऑंसू भी निकल रहे थे।
पेसर की स्पीड मेरे को बहुत तेज लगी तो मैंने उसको 3km बाद ही छोड़ दिया। मै प्लान B पर शिफ्ट हो गया 11.30 के पेसर के साथ हो गया। पहले कटऑफ के पहले ही उसको भी छोड़ दिया।
यहाँ यह बतला दूँ की मैंने कभी यह नही सोचा कि मेरे को 87 km दौड़ना है। मैंने सबसे पहले पहले कटऑफ का टारगेट रखा जो 18.5 km पर था। जब पहला कटऑफ क्रॉस कर लिया तो दूसरे कटऑफ पर (जो की पहले कटऑफ से 11km था) फ़ोकस किया। उसको क्रॉस करने के बाद तीसरे पर, फिर चौथे पर……. छोटे छोटे टारगेट रखने से 87km का जरा भी प्रेशर नही आया।
जब रेस स्टार्ट की तभी पसीना बहुत निकलने लगा।जिससे लगने लगा कि आज ह्यूमिडिटी बहुत है। आसमान में बादल लगभग 8 बजे तक रहे। मैं बार बार आसमान की तरफ देख रहा था। खैर पानी की मात्रा बढ़ा दी। हर एक घंटे में gels और साल्ट कैप्सूल लेने लगा।36km तक तो चढ़ाई ही चढ़ाई थी। मैंने कई सीनियर्स से सुना था और पढ़ा था कि आप अगर फील्ड हिल्स टॉप को (29km) comfortably क्रॉस कर लोगे तो आगे दिक्कत नही आयेगी। इसलिए मैंने अपने को स्लो रखा और फील्ड हिल टॉप को बहुत आराम से क्रॉस कर लिया।
36 वे km पर पहली बार 2km की डाउन हिल आयी पर जैसे ही मैंने स्पीड बड़ाई मेरे को पहले क्रेम्पस आये। मैं वही स्टेचू बन कर कुछ देर खड़ा रहा। पिकल जूस की आधी बोतल पी ली। थोड़ा वाक कर धीरे धीरे रन शुरू किया। क्रेम्पस गायब हो गए। भगवान को और आशु को धन्यवाद दिया। ये सब भगवान की divine प्लानिंग थी जो उन्होंने दूसरे दिन मेरे को प्रेरित कर आशु से पिकल जूस बुलवा लिया। इस समय कुछ देर के लिए मेरे को नेगेटिव विचार आने लगे। स्पीड बहुत स्लो करने से मेरे को लग रहा था कि मैं 3rd कटऑफ पर अर्थात आधे रास्ते@44km पर ठीक 6 घंटे में पहुँचूंगा। मैने सोचा कि मेरे पास सेकंड हाफ के लिए कम से कम 20 मिनट्स बफर में होने ही चाहिए।इस समय मैंने अपने आपको पॉजिटिव फीडबैक दिया। मैंने अपने आप से बोलना शुरू किया , ” विजय तुम कर लोगे तुम चैंपियन हो” यह सेन्टेंस मैंने अपने आप से सैकड़ों बार बोला और अपनी थोड़ी स्पीड बड़ाई। थर्ड कटऑफ मैं 5.41 पर पहुँच गया मेरे पास 19 मिनिट्स एक्स्ट्रा थे सेकंड हाफ के लिए। इस समय शरीर भी थका हुआ नही लग रहा था। मेरे को लगने लगा था कि अब मैं कामरेड फिनिश कर लूँगा। 44 के बाद फिर क्रेम्पस आये। बचा हुआ पिकल जूस तब ले लिया। क्रेम्पस फिर खत्म हो गए। इस समय भी पसीना बहुत आ रहा था। आसमान साफ था । मैं फुल स्लीव की ब्लैक टीशर्ट पहना हुआ था और उसके ऊपर इंडिया की टीशर्ट । ब्लैक टीशर्ट मेरे पसीने को evoporate होने से रोक रही थी। यह टीशर्ट मेरी प्रिय टीशर्ट थी पर कामरेड से ज्यादा प्रिय नही। 49 km पर कुछ देर रुक कर उस ब्लैक टीशर्ट को उत्तार कर वही फेंक दिया। थोड़े आंगे जा कर मैं जानबूझकर पेशाब करने रुका। मैं अपनी पेशाब का रंग देखना चाहता था। मेरी पेशाब का रंग डार्क येलो था जो इस बात का संकेत था कि मेरी बॉडी dehydrate हो चुकी है। मतलब मेरा हाइड्रेशन कम था। मेरा यह निर्णय ( पेशाब का रंग देखना) बहुत ही सही था। थोड़ा आंगे दौड़ते हुए एक व्यक्ति 600ml की इलेक्ट्रॉल की बोतल ले कर रेस देख रहा था। मैंने दौड़ते दौड़ते उसके हाथ से इलेक्ट्रॉल की बोतल छीन ली। वह व्यक्ति पहले तो अचंभित हुआ फिर मुस्करा दिया। 2km में मैंने वह बोतल पूरी पी ली। पानी की मात्रा बढ़ा दी। लगभग 56 km पर फिर पेशाब करने के लिए रुका अब पेशाब का रंग सफेद था। मतलब बॉडी अच्छे से हाइड्रेट हो चुकी थी।
यहाँ आप लोगों को वहाँ के ऐड स्टेशन्स के बारे में भी बतलाना चाहूँगा। पहले 6km कोई ऐड स्टेशन नही था। उसके बाद हर 1.5 km पर ऐड स्टेशन था। शुरू के ऐड स्टेशन्स पर पानी और इलेक्ट्रॉल था। लगभग 30 के बाद के ऐड स्टेशन्स पर सब कुछ था जैसे- पानी, इलेक्ट्रॉल, कोक, संतरे, केले। कुछ में उबले आलू। इन सबकी प्रैक्टिस हमने इंदौर में लांग रन में की थी। आँकड़ो के अनुसार पूरे रास्ते मे 6000 वालंटियर्स थे और लगभग 4 लाख लोग रनर्स को चियर्स कर रहे थे। पूरा रास्ता बहुत ही सुंदर था। वहाँ भारतीयों को बहुत सम्मान से देखा जाता है। इसलिए पूरे रास्ते हम सभी इंडियन रनर्स को Come on India, come on India के नारे से हर कोई चियर्स कर रहा था। टीशर्ट पर आपका नाम पढ़ कर भी चियर्स कर रहे थे इससे थकान भी नही लग रही थी और उत्साह भी आ रहा था।
लगभग 56 से 79 तक मैं स्लो और स्टडी दौड़ा। इस समय मैं धयान की अवस्था मे जा चुका था। केवल कदम मंजिल की और ले जा रहे थे। 79 km पर सबसे कठिन हिल पाली शार्ट आने वाली थी उसके लिए मैंने अपनी एनर्जी सेव कर रखी थी। 56 के बाद कोक लेना शुरू कर दिया था। कहने को तो यह शार्ट है पर यह लगभग 2 km लम्बी कठिनतम पहाड़ी है जो आपकी हिम्मत की अंतिम परीक्षा लेती है। पाली शार्ट उतरने के बाद मुझे 1 घंटे में 6km करना था। लक्ष्य सामने दिख रहा था। उत्साह चरम पर आ गया। इन 6km में वहाँ जिस तरह चियर्स किया गया है उसको शब्दो मे लिखना मेरे लिए असंभव है। लोकल लोग आपके साथ साथ दौड़ते दौड़ते नाच रहे हैं। ऐसा लग रहा था कि उनका कोई अपना रेस पूरा कर रहा हो । मैं बहुत भावुक हो गया । अंतिम 1 km तो मेरी आँखों से आँसू बह रहे थे और मैं बस भगवान को धन्यवाद दे रहा था। ठीक 11 घंटे 43 मिनट्स और 30 सेकण्ड्स में मैंने फिनिशिंग लाइन को क्रॉस किया मेरा 3 साल का सपना और 10 महीने की तपस्या पूर्ण हुई। सबसे पहले भगवान को कोटिशः धन्यवाद दिया।
कामरेड का प्रतिष्ठित मैडल मेरे हाथ मे था (गले मे 8 दिन बाद मेरे पहले कोच विवेक सर ने डाला)। भारतीय झंडे के साथ फोटो खिचवाना जिंदगी का सबसे गौरवशाली पल था।
कई बातें रह गई है पर ब्लॉग बहुत बड़ा हो गया है इसलिए अब यही विराम दूँगा बस अंत मे कुछ बातें
कामरेड मैं 57 साल की उम्र में कर सकता हूँ इसका मतलब की हमारे इंदौर का हर रनर कर कामरेड कर सकता है बस जरूरत है तपस्वी बनने की, स्व अनुशासन की, सही मार्गदर्शन में कमिटमेंट के साथ वर्कआउट की, जुनून और जजबे की।
आपमे से जो भी कामरेड के बारे में कुछ भी जानना चाहता है, तैयारी करना चाहता है। मेरे से कभी भी संपर्क कर सकता है। मैं निःशुल्क उन्हें अपनी सेवाएं दूँगा।
अंत मे मेरी कामरेड इंदौर के सभी रनर्स को समर्पित करता हूँ। आप सभी की दुआओं और भगवान के आशीर्वाद से मैं यह रन पूरी कर पाया हूँ।
Vijay Sohni
Marathon runner
94250 52053
vijaysohni@ gmail.com

Happy running🏃♀🏃🏃♀🏃

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