मेरी ड्रीम रन – कामरेड मैराथन
51 साल की उम्र में जब रनिंग शुरू की थी तब रनिंग की ABCD ही नही मालूम थी। ऐसे में किसी जानकार से जानकारी लेना उचित समझा। तब यह पता चला कि डॉक्टर प्रवर पासी बहुत अच्छे मैराथन रनर है। उनसे परिचय नही था इसलिए उनके एक बहुत अच्छे मित्र श्री त्रिभुवन सचदेवा जी, जो की मेरे बड़े भाई तुल्य है, के माध्यम से उनसे फ़ोन पर सम्पर्क किया। उन्होंने मेरे से केवल एक ही बात बोली। उन्होंने कहा कि आप अमित सेठ की किताब dare to run पढो। मैंने अगले दिन ही ऑनलाइन ऑडर कर वह किताब बुला ली। अमित सेठ सबसे पहले भारतीय है जिन्होंने कामरेड मैराथन की है और अभी कामरेड मैराथन के ब्रांड एंबेसडर हैं । उनकी किताब कामरेड मैराथन पर ही बेस है। उस किताब को पढ़ने के बाद ही यह तय कर लिया था कि मेरे को कामरेड मैराथन करना ही है। तब से कामरेड मैराथन मेरी ड्रीम रन बन गयी।
मेरे पहले कोच – श्री विवेक सिंघल
दो साल बाद ही 2015 में मेरे मेंटर और रनिंग के पहले कोच श्री विवेक सिंघल मध्य भारत के पहले कॉमरेड मैराथन फिनिशर बने। उनके सम्मान के लिए AIM ने सयाजी होटल में एक कार्यक्रम रखा। जब उन्होंने वहां मौजूद सभी रनर्स से पूछा कि आपमे से कौन कामरेड करना चाहता है तब मैंने हाथ उठाया। उन्होंने मेरे को कामरेड का एक बैज लगाया, जो आज तक मेरे पास है। जब वो बैज लगा रहे थे तो मैंने उनसे कहा कि इसकी तैयारी भी आपको ही करवानी होगी। उन्होंने कहा बिल्कुल।उसके बाद से मैंने उन्हें अपना कोच मान लिया।
उन्होंने मेरे को रनिंग की कई बारीकियों से अवगत कराया। पहले कामरेड के लिए क्वालीफाई टाइम sub 5 में फुल मैराथन का था।2016 और 2017 मे मैंने मुम्बई मैराथन क्रमशः 4.54 और 4.49 में पूरी करी पर विवेक सर ने मेरे से कहा कि जब तक मैं 4.30 में मैराथन न करूँ तब तक कामरेड का रजिस्ट्रेशन मत करना। तो मेरा पहला टारगेट फुल मैराथन sub 4.30 बन गया। 2018 में चिकनगुनिया होने से मैं रनिंग में कुछ नही कर पाया पर हाँ लक्ष्य कामरेड आँखों से ओझल नही होने दिया ।
प्रोफेशनल कोच – Mr Ian
जुलाई 2018 में विवेक सर ने शिरडी साईकल यात्रा के समय मेरे को एक प्रोफेशनल कोच को जॉइन करने को कहा। उनके बार बार बोलने पर मैने भाई राजीव लथ और भाई आशु व्यास के कोच Mr Ian को जॉइन कर लिया। अगस्त 2018 से रनिंग फिर शुरू की। मुख्य टारगेट तो कामरेड ही था पर उसके लिए 4.30 में फुल करना था। 4.30 में फुल के लिए sub 2 हाफ करना था। बस यही से मेरी जिंदगी में बहुत बड़ा बदलाव आया। मैंने अपनी दिनचर्या अच्छी नींद, अच्छे खाने, आफिस के काम और वर्कआउट पर सीमित कर ली। स्व अनुशासन को मैंने अपनी ताकत बनाया। दिन रात सोते उठते केवल और केवल कामरेड मैराथन और रनिंग के बारे में पढ़ता, सोचता और लिखता (ब्लॉग). रोज यूट्यूब पर कामरेड मैराथन के वीडियो देखना मेरी दिनचर्या का अनिवार्य हिस्सा बन गया था।
कामरेड क्वालीफाई करना
कोच की ट्रैनिंग के रिजल्ट्स बहुत जल्दी दिखने लगे। अक्टूबर 2018 में देवास 10k रन में दूसरा स्थान मिलना इसका सबूत था। अक्टूबर 2028 में पहली बार हाफ मैराथन ADHM 1.55 में पूरी की। दिसंबर में भोपाल हाफ 1.54 में । अब बारी थी IDBI दिल्ली फुल मैराथन की जो की मेरी ड्रीम रन कामरेड मैराथन का भाग्य तय करने वाली थी। इसके रिजल्ट्स पर ही मेरे को कॉमरेड में ग्रुप मिलने वाला था। आप सबको बतला दूं कि फुल मैराथन के टाइम के आधार पर ही कामरेड मैराथन में ग्रुप आबंटित होते है। जो की आप कामरेड मैराथन की वेबसाइट पर जा कर देख सकते है।
यहाँ यह बात भी बतलाना जरूरी है कि कामरेड मैराथन gun to gun होती है अर्थात एक बार रेस स्टार्ट के लिए बंदूक की गोली चल गई तभी से आपका समय प्रारंभ हो जाएगा। भले से आप स्टार्ट लाइन कितने भी देर बाद क्रॉस करो। इसी प्रकार ठीक 12 घंटे बाद जब मेयर गन चला देगा तो रेस का समय समाप्त हो जाएगा। अगर आप उसके पहले आ गए तो मैडल मिल जाएगा नही तो नही मिलेगा। इस कारण से आपको जितने आगे का ग्रुप मिले उतना अच्छा रहेगा। उसमे स्टार्ट लाइन तक पहुँचने में कम समय लगेगा। इसलिए IDBI दिल्ली मैराथन में मैंने 4 से 4.20 का टारगेट रखा था। जो मैंने 4.16 में कर लिया । मेरे को F ग्रुप मिल गया।
कामरेड की तैयारी
दिल्ली मैराथन के बाद केवल एक सप्ताह के रेस्ट के बाद कोच ने फुल स्पीड से कामरेड की तैयारी शुरू करवा दी। दिक्कत केवल एक ही आने वाली थी वो थी गर्मी की। वैसे ठंड में भी 5 डिग्री में दौड़ना कोई आसान नही था पर गर्मी में बहुत दिक्कत आती है। वीकली माइलेज 80 से बढ़कर 120 तक पहुँच गया 55, 32, 65, 32 और 50 ये मेरी एक के बाद एक संडे की लांग रन थी। 65 तो गर्मी के डर से रात को 1 बजे से शुरू कर सुबह 9 बजे समाप्त की। जिससे बहुत आत्मविश्वास बड़ा। अंतिम 50 km मल्हार आश्रम के मैदान पर शाम को 6 बजे शुरू किया था उस समय 38 डिग्री था।
यहाँ यह बतला दूँ की लांग रन हम चारो साथ मे मिलकर करते थे। तीन माह में हम चारो ने 1000+ की रनिंग की। अंत मे तो रनिंग करते करते बोर हो गए थे। लगने लगा था की अब कामरेड हो जाये। रिजल्ट कुछ भी हो। भगवान को बहुत बहुत धन्यवाद देंगे की हम चारो को इतनी रनिंग के बाद भी कोई बड़ी इंज्यूरी नही हुई। थोड़ी बहुत जो दिक्कत हुई तो डॉ मोहित मदान की मदद से ठीक हो गई।
क्यो कामरेड मैराथन अल्टीमेट ह्यूमन रेस कहलाती है?
रेस डे के अनुभव, वहाँ का वातावरण आदि पार्ट 2 में कल आपके साथ शेयर करूँगा।
Vijay sohni
Marathon runner
vijaysohni@gmail.com
Happy running